अजय झा. संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (भ्स्च्थ्) के कंधों पर वर्तमान अस्थिर दुनिया से ग़रीबी व भूख मिटाने और एक दषक में पारिस्थितिक संतुलन सुनिष्चित करने में मदद करने की ज़िम्मेदारी है। ऐसे समय में जहाँ लगभग चार मिलियन लोग मारे गए, तकरीबन 190 मिलियन लोग बीमार हुए और करोड़ों लोग भुखमरी व अत्यधिक ग़रीबी में घिर चुके हैं, 7.9 मिलियन लोगों की आकांक्षाएँ एचएलपीएफ पर एक अटूट कर्तव्य बन जाती हैं। स्थिरता और जलवायु, जैव विविधता का तेजी से ॉास और निम्न व मध्यम आय वाले देषों के लिए असमानता व ग़रीबी के जाल के मौजूदा संकटों में वृद्धि करते हुए कोविड 19 महामारी ने न केवल आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों, बल्कि सतत् विकास लक्ष्यों ;ैक्ळेद्ध को प्राप्त करने की दिषा में जो भी प्रगति की है, उसे एक गंभीर झटका दिया है। यह…
जून के अंत तक कोविड-19 महामारी से पूरी दुनिया में कम से कम 18 करोड़ बीमार हुए और 39 लाख 30 हजार लोग मारे गए हैं। भारत में भी तीन करोड़ से अधिक लोग बीमार और 3,97000 से अधिक मौतें हुई हैं। जहाँ बीमार लोगों की संख्या में भारत अमरीका से पीछे दूसरे स्थान पर है वहीं मौत के आंकड़े में भारत अमरीका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है। अमरीका में तकरीबन छः लाख और ब्राजील में 5,14,000 लोग मारे जा चुके हैं। महामारी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएँ, सामाजिक सुरक्षा, नौकरी व रोज़गार सभी कुछ चैपट हो गया और इसकी भरपाई में काफ़ी समय लगने की आषंका है। ग़रीब देषों की जनता, मज़दूर, बुज़ुर्गों और महिलाओं पर सर्वाधिक प्रभाव…
[caption id="attachment_3024" align="alignright" width="227"] Click to Download[/caption] कोविड-19 महामारी एक ऐसे संकट की तरह सामने आई है जिसका सामना इससे पहले शायद ही पूरी दूनिया ने कभी एक साथ किया हो। दो वर्ष से भी कम समय में किसी बीमारी से लाखों की तादाद में लोगों के मारे जाने, और करोड़ों लोगों के ग़रीबी और भुखमरी का षिकार होने का आंकड़ा भयावह है। अमरीका, ब्राजील और भारत इस महामारी के भयावह रूप को देखने वाले शीर्ष तीन देष रहे। भारत में ही तीन करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और तकरीबन चार लाख लोगों की मौत हुई है। ऐसी स्थिति में जब लोग महामारी से आतंकित रहे, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और वैक्सीन की अनुपलब्धता सरकारी प्रयासों की आलोचना का केन्द्र रहे हैं। दवाओं पर एकाधिकार भी चर्चाओं का…
[caption id="attachment_3026" align="alignright" width="229"] Click to Download[/caption] पिछले कुछ सालों में हमारी केन्द्र सरकार लगातार ऐतिहासिक फैसले लेती आ रही है। ऐतिहासिक इस मामले में भी कि उन फैसलों पर सरकार की बड़े पैमाने पर आलोचना हुई है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के फैसले ने 50 लाख लोगों से उनका रोजगार छीन लिया। 2020 के मार्च में चार घंटे की मोहलत देकर किए गए लाॅकडाउन ने हजारों मजदूरों को पैदल घरों की ओर कूच करने के लिए मजबूर किया जिसमें सैकड़ों की मौत हो गई। सरकार ने ये दोनों फैसले अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और कोविड की रोकथाम से लिहाज से ऐतिहासिक बताए थे। इसके बाद 5 जून को सरकार ने कृषि से जुड़े तीन और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं जिनका नतीजा है कि देष…