काॅप 27 इस एहसास के बहुत करीब है कि हम अभी भी शताब्दी के अंत तक तापमान में तीन डिग्री से चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कगार पर हैं। यह आईपीसीसी आपको नहीं बताएगी लेकिन अगर आप वैज्ञानिक आकलन देखें, जो कहने के लिए गैर-राजनीतिक और बिना किसी समझौते के हैं, तो हम अभी भी सदी के अंत तक तीन से चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पर हैं।
नवीनतम यूएनईपी रिपोर्ट हमें बताती है कि यदि सभी देश अपने सभी वादों को पूरा करते हैं, जिसमें उनकी शुद्ध शून्य प्रतिबद्धताएं या अब तक की प्रतिज्ञाएं शामिल हैं, तो सदी के अंत तक तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। पर हम जानते हैं कि ये देश अपने वादों को पूरा करने में कितने अच्छे हैं। एक बहुत छोटा उदाहरण 2009 का वादा है जो जी20 ने जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने के लिए किया था लेकिन जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में वृद्धि हुई है। कई देशों ने अपनी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को 2-3 या 5 प्रतिशत नहीं, बल्कि 48 प्रतिशत, 50 प्रतिशत तक बढ़ाया है। 2020 की तुलना में 2021 में जीवाश्म ईंधन सब्सिडी दोगुनी हो गई। उनका कहना है कि ‘रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हम एक बड़े ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं, हम कड़ाके की सर्दी का सामना कर रहे हैं और हमें अपने लोगों की सुरक्षा के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है।’ हमें कोयले, तेल या गैस से प्राप्त करने की कीमत पर भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
क्या यह वही नहीं हैं जो हम पिछले 30 वर्षों से कहते आ रहे हैं कि हमें ऊर्जा चाहिए, हमें अपने लोगों के लिए विकास की जगह चाहिए! ऐसा लगता है कि हम एक दायरे में घूम रहे हैं। बातचीत का चक्र पूरा हो चुका है और हम गोल-गोल घूम रहे हैं और हमारे हाथ में कुछ भी ठोस नहीं है।