काॅप 26 चुनौतीपूर्ण था। इस काॅप में पेरिस रूल बुक को अंतिम रूप देने के लिए कुछ अहम मुद्दों पर फैसला लिया जाना था। आर्टिकल 6- सहकारी तंत्र (बाजार और गैर-बाजार आधारित दृष्टिकोण सहित), एनडीसी के लिए समान समय सीमा और उन्नत पारदर्शिता तंत्र के लिए रिपोर्टिंग प्रारूप/तालिकाएं आदि मुद्दे थे, जिन पर बात की जानी थी। इसके अलावा अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य व हानि और क्षति (वित्तीय सुविधा का निर्माण) के संबंध में इस काॅप से अपेक्षाएं भी थीं। जलवायु कोष और अनुकूलन कोष भी बड़े मुद्दे थे। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा, जो विकसित और विकासशील देशों के बीच सहयोग के लिए महत्वपूर्ण था, जलवायु कोष और 100 अरब अमेरिकी डाॅलर का वितरण था।
हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शमन महत्वाकांक्षा पर औद्योगिक देशों की प्रतिक्रिया को देखना (और उम्मीद करना) था। हम सभी जानते हैं कि काॅप 26 से पहले प्रतिबद्ध एनडीसी 1.5 डिग्री से नीचे तापमान में वृद्धि को रोकने में असमर्थ हैं और उत्सर्जन को कम करने की उम्मीदों के विपरीत, 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन में 16 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। हमने काॅप 26 से 1.5 डिग्री के लक्ष्य को बचाने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया की उम्मीद की थी। हाल ही में आईपीसीसी रिपोर्ट (डब्ल्यूजी1; फिजिकल साइंस बेसिस) द्वारा भी इसकी त्वरित आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जिसमें कड़ी चेतावनी दी गई है और कहा गया है कि तीन साल पहले 2018 में 1.5 डिग्री पर आईपीसीसी की विशेष रिपोर्ट में 2040 का जो अनुमान लगाया गया था उसके बहुत पहले 2030 के दशक में ही 1.5 डिग्री के लक्ष्य का उल्लंघन किया जा सकता है।