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सरकार नव-उदारवादी नीति की राह पर चल रही है और विदेशी निवेश का बढ़ावा इसका प्रमुख हिस्सा है. देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र ,एफडीआई को प्रमुख समाधान के रूप में देखा जा रहा है. खुदरा व्यापर अब तक अनछुआ था लेकिन एक ही बार में सरकार ने 51 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है जिससे देश के लगभग 4 करोड़ खुदरा व्यापारियों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है.